सतना. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में वन विभाग लगातार नाकाम साबित हो रहा है। चाहे बांस बंबू मिशन हो, बांस के कचरे से बिजली बनाने की योजना हो या फिर अन्य प्रोजेक्ट 2016 में 32 लाख रुपए खर्च कर वन विभाग ने बांस के कचरे से बिजली बनाने वाली मशीन विदेश से मंगवाई।
इस मशीन को चलाने के लिए खास विभाग ने दो प्राइवेट लोगों को रखा। खबर उनको बाहर से प्रशिक्षण दिलाया। इन का लोगों ने दो माह तक मशीन से बिजली उत्पादन किया। इसके बाद सरकारी नियुक्ति की मांग को लेकर उन्होंने छोड़ दिया | तब से यह मशीन बंद पड़ी है। वन विभाग की नाकामी यहीं नहीं थमी। बांस बंबू को बढ़ावा देने के लिए सतनावन मंडल स्थित सेनौरा में लाखों रुपए का सरकारी बजट पानी की तरह बहा दिया गया।
विभाग ने 280ओं को बां से ज्यादा बेरोजगार युवाओं को बांस से बनने वाले प्रोडक्ट का प्रशिक्षण दिया। लेकिन, रोजगार महज कुछ को ही मिला। बेरोजगार युवाओं को काम दिलाने की मंशासे अन्य योजनाएं भी शुरू की गईं, लेकिन अब सिर्फ फर्नीचर और अगरबत्ती बनाने का ही कार्य चल रहा है। वह भी न के बराबर सोनौरा में कावेरी स्व सहायता समूह अगरबत्ती, श्री पूजा पाठ स्व सहायता समूह काड़ी, बांस के फर्नीचर बनाने का काम नर्मदा स्व सहायता समूह कर रही है।
बंबू मिशन के तहत बांस प्रोडक्ट को बढ़ावा देने वाला वन विभाग खुद इस पर भरोसा नहीं कर रहा। लोगों को प्लांटेशन की सुरक्षा के लिए सीमेंट के पोल का उपयोग कर रहे. किया गया था। बता दें कि विभाग द्वारा करीब 3 साल पहले सोनौरा में बंबू मिशन के तहत लाखों रुपए खर्च कर ट्रीटमेंट प्लांट की शुरुआत की थी। बंयू बांस के पोल की सलाह देने वाले… मिशन के प्लॉट में ट्रीटमेंट के बाद अधिकारी अपने यहां सुरक्षा के लिए करीब 40000 बांस का विक्रय किया गया है।
प्रदेश में नहीं मिला बाजार, दिल्ली पर निर्भरता
सोनौरा में बांस के फर्नीचर व अन्य प्रोडक्ट बनाने वाले कारीगरों को प्रदेश में बाजार नहीं मिला। मजबूरी में दिल्ली की एक एनजीओ से अनुबंध करना पड़ा। कारीगरों को दिल्ली के एनजीओ के मुताबिक प्रोडक्ट तैयार भेजा जाता है। इससे हजारों में होने वाला मुनाफा युवाओं तक सैकड़ों में पहुंचता है।
और बंद हो गया प्लांट
महज साल पहले शुरू किया गया बंबू मिशन का प्लांट बंद है। विभाग ने स्वरोजगार से युवाओं को जोड़ा जब वे बांस से बने प्रोडक्ट के बारे में जानकारी प्राप्त करने के साथ महारत हासिल कर ली तो यह प्लांट ही बंद हो गया। यदि वन विभाग इस प्लांट में तैयार होने वाली चीजों का उपयोग करता तो न केवल प्लांट चालू हालत में होता बल्कि कई लोगों का रोजगार भी बना रहता।