चुनावी खैरात नहीं महिलाओं को रोजगार दे सरकार : अजय खरे

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रीवा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा 16 साल के कार्यकाल में प्रदेश की महिलाओं की बुनियादी समस्याओं का निराकरण करने की जगह उनसे भाई बहन मामा भांजी जैसे रिश्ते जोड़कर भावनात्मक शोषण किया जा रहा है। अब मुख्यमंत्री शिवराज यह भी फरमा रहे हैं कि हम सौतेले नहीं सगे हैं। आखिरकार इस तरह की शब्दावली बोल कर मुख्यमंत्री चौहान क्या दिखाना चाहते हैं। आमतौर पर देखा गया है कि घरेलू महिलाओं के पास अपने खर्चे के लिए पैसे नहीं होते हैं । कागज पर घर का मुखिया बना देने के बावजूद वह मोहताज हैं। प्रदेश सरकार महिलाओं के लिए बड़ी-बड़ी बातें करती हैं लेकिन आज तक उनके रोजगार और स्वावलंबन के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं बनाई गई। चुनावी वर्ष में इधर शिवराज सरकार ने 23 वर्ष आयु से लेकर 60 वर्ष तक की महिलाओं के लिए प्रतिमाह ₹1000 देने का ऐलान किया है। नारी चेतना मंच के संयोजक अजय खरे ने कहा है कि यह राशि चुनावी खैरात है जिसके चलते महिलाओं का वोट बैंक सुरक्षित किया जा सके। देखने में आ रहा है कि निराश्रित वृद्ध विधवा परित्यक्ता महिलाओं के लिए प्रतिमाह ₹600 पेंशन योजना है जो ऊंट के मुंह में जीरे वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। बेसहारा महिलाओं को मिलने वाली पैंशन कम से कम ₹2000 प्रतिमाह की जानी चाहिए। नारी चेतना मंच ने कहा है कि शिवराज सरकार ने 23 वर्ष से अधिक आयु वाली अविवाहित लड़कियों को लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत दी जाने वाली ₹1000 प्रति माह राशि से वंचित कर दिया है। योजना का लाभ केवल विवाहित महिलाओं तक सीमित रखा जाना सही नहीं है। प्रदेश में 23 वर्ष की आयु से अधिक की उम्र की लाखों अविवाहित लड़कियां बेरोजगारी की समस्या से जूझ रही है लेकिन उनके बारे में शिवराज सरकार ने जरा भी ध्यान नहीं दिया है। भीषण बेरोजगारी के चलते बहुत सारी लड़कियां अकेला जीवन जीने को मजबूर हैं। इन्हें भी ₹2000 प्रति माह पेंशन दी जानी चाहिए।


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