Vijayan ने केरल की ऋण सीमा में कटौती करने के लिए केंद्र की आलोचना की

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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने राज्य की ऋण सीमा को आधा करने के फैसले को लेकर रविवार को केंद्र की भाजपा सरकार की आलोचना की और इस कदम को ‘परपीड़ादायी’ बताया।
विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार अपने खजाने को भरने के लिए जीएसटी लागू करने जैसे हर मौके को लपकती है, लेकिन जब राज्य की मदद की बात आती है तो वह ‘‘नकारात्मक दृष्टिकोण’’ अपना रही है।
उन्होंने दलील दी कि केंद्र ने राज्य को विभिन्न आपदाओं के दौरान खाद्यान्न और सशस्त्र बलों जैसी जो सहायता प्रदान की, उसके लिए उसने भुगतान करने के लिए कहा।

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, ‘‘यह सिर्फ एलडीएफ सरकार की समस्या नहीं है। यह पूरे राज्य के लिए एक समस्या है। यह लोगों की प्रगति का मामला है। क्या केंद्र सरकार राज्य को बर्बाद होने देने का रुख अपनाए– यह एक ऐसा मुद्दा है जिसपर विचार किया जाना है।’’
विजयन ने कहा कि कई आपदाओं से जूझ चुके इस राज्य के लिए केंद्र का रूख उसपर एक और संकट थोपने जैसा है।
उन्होंने साथ ही केंद्र के ऐसे फैसलों पर कथित रूप से चुप्पी साधने के लिए प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विपक्ष की भी परोक्ष रूप से आलोचना की जो राज्य के लिए फायदेमंद नहीं हैं।

मुख्यमंत्री ने यहां पिनराई कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हालांकि इन सबके बावजूद कुछ लोग इस पर प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं हैं।’’
हालांकि, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य में वामपंथी सरकार सत्ता में है, श्रमिकों और गरीबों को लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।
शनिवार को, सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने केरल की ऋण क्षमता में कटौती के केंद्र के कदम को किसी भी तरह से ‘‘राज्य का दम घोंटने का प्रयास’’ करार दिया था।
इस वाम दल ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले 32,442 करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति दी थी लेकिन अब यह सीमा घटाकर 15,390 करोड़ रुपये कर दी गई है।



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