Corbett से राजाजी में छोड़ी गयी बाघिन ने जंगल में अपने इलाके की खोजबीन शुरू की

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करीब एक पखवाड़े पहले कॉर्बेट बाघ अभयारण्य (सीटीआर) से लाकर राजाजी बाघ अभयारण्य (आरटीआर) के पश्चिमी छोर के जंगल में छोड़ी गयी बाघिन ने अपना इलाका स्थापित करने के लिए जंगल में खोजबीन शुरू कर दी है।
पांच वर्षीय इस बाघिन को 16 मई को सीटीआर से लाकर आरटीआर के मोतीचूर स्थित बाड़े में रखा गया था जहां से 20 मई को उसे सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया गया था।
आरटीआर के निदेशक साकेत बडोला ने बताया कि बाघिन मोतीचूर रेंज से बेरीवाड़ा रेंज के जंगलों तक गयी लेकिन उससे आगे नहीं बढ़ी।

उन्होंने बताया कि बेरीवाड़ा रेंज से आगे के जंगल में संभवत: इसे पहले वाली बाघिन की गंध मिली होगी जिसके कारण वह केवल वहीं तक गयी।
बडोला ने बताया कि बाघिन के गले मे लगे रेडियो कॉलर से इस बाघिन के आवागमन के बारे में यह जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि नयी बाघिन अब संभवत: मोतीचूर व बेरीवाड़ा के जंगल को अपना इलाका समझेगी और दूसरी बाघिन के क्षेत्र में नहीं जाएगी।
वन अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी छोर के जंगल में शिकार के लिए जानवरों की संख्या, पानी और आश्रय की स्थिति बहुत अच्छी है और इसलिए बाघों के बीच टकराव की कोई स्थिति नहीं लगती।

उन्होंने कहा कि अब नर बाघ के पास फिलहाल पूरे पश्चिमी छोर के जंगल के इलाके में दो बाघिनें प्रजनन के लिए उपलब्ध हैँ।
बडोला ने कहा कि अच्छे संसाधनों के कारण बाघों के कुनबे में वृद्धि की संभावना अधिक है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से अनुमति मिलने के बाद कॉर्बेट से दो नर व तीन मादा बाघों को कॉर्बेट से राजाजी के पश्चिमी छोर के जंगल में छोड़े जाने की परियोजना बनाई गयी थी। उन्होंने कहा कि इनमें से एक बाघ और एक बाघिन को पहले लाकर छोड़ा जा चुका है और यह तीसरी बाघिन है।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना को पूरा करने के लिए अभी एक बाघ और एक बाघिन को कॉर्बेट से आरटीआर में लाया जाना शेष है।



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