अफगानिस्तान से लौटे सिख शरणार्थियों से मिले विदेश मंत्री, कहा- अगर CAA नहीं होता तो इन लोगों का क्या होता

स्टोरी शेयर करें


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरु अर्जुन देव गुरुद्वारा में दर्शन किया। इसके बाद उन्होंने अफगान सिख शरणार्थियों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि मैं अफगानिस्तान से भारत आए सिखों से मिलना चाहता था और उनके मुद्दों को समझना चाहता था। उन्हें वीजा और नागरिकता को लेकर कुछ दिक्कतें हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हम उन मुद्दों का समाधान करेंगे। इस दौरान विदेश मंत्री ने नागरिकता संशोधन अधिनियम का भी जिक्र किया जिसको लेकर देश में लंबे समय तक विरोध चला था।
 

इसे भी पढ़ें: ‘2024 का परिणाम तो वही होगा…’, S Jaishankar ने बयान पर कांग्रेस का पलटवार, अधीर रंजन ने पूछा यह सवाल

वीजा की दिक्कत

विदेश मंत्री ने कहा कि मैं अफगानिस्तान से भारत आए सिखों से मिलना चाहता था और उनके मुद्दों को समझना चाहता था। उन्हें वीजा और नागरिकता को लेकर कुछ दिक्कतें हैं। हम उन मुद्दों का समाधान करेंगे जिन पर उन्होंने हमारे साथ चर्चा की है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अभी भी अपनी नागरिकता पाने का इंतजार कर रहे हैं। नागरिकता और वीजा को लेकर हम हर संभव मदद मुहैया कराएंगे। उनकी मदद करना हमारी जिम्मेदारी है। जयशंकर ने यह भी कहा कि उन्होंने बताया कि कुछ लोग वापस जाना चाहते हैं क्योंकि वहां उनकी संपत्ति और गुरुद्वारे हैं उन्हें चिंता है। इस आने-जाने की व्यवस्था कैसे हो क्योंकि इसके लिए वीज़ा की दिक्क़त है। इन लोगों को डबल-ट्रिपल एंट्री वीज़ा मिलना चाहिए। 
 

इसे भी पढ़ें: 700 भारतीय छात्रों को कनाडा से करना पड़ रहा निर्वासन का सामना, पंजाब के मंत्री ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से हस्तक्षेप का किया अनुरोध

CAA का जिक्र

एस जयशंकर ने कहा कि कुछ लोग अपनी नागरिकता का इंतज़ार कर रहे हैं। कुछ लोगों ने अपने बच्चों के लिए भारत की नागरिकता ली है जिसमें उनको बाद में कुछ दिक्क़तें आईं। उनको डर है कि हमारा सिस्टम आगे चलकर उनको मदद करने की जगह उन पर बोझ न डाले। यह छोटी चीज़ें आम लोगों के लिए बहुत बड़ी होती हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उस क़ानून (नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)) के कारण इन लोगों को विश्वास था कि हम आएंगे। अगर वह क़ानून नहीं होता तो इन लोगों का क्या होता? कभी-कभी हम हर चीज़ को राजनीति (का मुद्दा) बना देते हैं। यह राजनीति का मामला नहीं बल्कि इंसानियत का मामला है। उस हालात में इन लोगों को कौन छोड़ सकता था?



स्टोरी शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Pin It on Pinterest

Advertisements