बिहार के टीवी चैनलों पर बोधगया में दो साल के अंतराल के बाद दलाई लामा का दौरा शुरू होने पर उनकी संदिग्ध रूप से जासूसी कर रही रहस्यमय चीनी महिला की खबरें छायी रहीं लेकिन अंत में कहानी कुछ और ही निकली।
जैसे ही पुलिस द्वारा सोंग शिओलान नामक महिला के स्केच के साथ उसके पासपोर्ट और वीजा संख्या जारी करने की खबर आयी तो यह देखते ही देखते समाचार चैनलों की सुर्खियां बन गयी और उन्हें लगा कि कुछ ‘‘बड़ा’’ हाथ लगने वाला है।
हालांकि, विस्तृत जांच के बाद पुलिस ने पाया कि यह ऐसी महिला का मामला है जो वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी देश में जानबूझकर रह रही है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जे एस गंगवार ने कहा, ‘‘उसे वीजा उल्लंघन के बाद भारत छोड़ने का नोटिस दिया गया है। हमें उसे प्रत्यर्पण के लिए संबंधित प्राधिकारियों को सौंपने जा रहे हैं।’’
इसके बाद गया पुलिस के एक बयान ने यह बिल्कुल साफ कर दिया कि सोंग पर कभी जासूसी का संदेह नहीं रहा। हालांकि, वह विदेश से नियमित तौर पर आने वाली यात्री भी नहीं है और सांसारिक वजहों से भारत आयी थी।
पुलिस ने बताया कि एक नास्तिक देश में पैदा होने के बावजूद यह महिला आध्यात्मिकता के करीब आ गयी और वह अक्टूबर 2019 में बुद्ध की धरती पर आयी और यह भूल गयी कि यह दुनिया वीजा पर चलती है।
पुलिस के अनुसार, उसे तीन महीने से ज्यादा वक्त तक नहीं ठहराना था लेकिन वह तीन से अधिक साल से रह रही है। इस बीच, वह आध्यात्म की खोज में कुछ वक्त के लिए नेपाल भी गयी जहां उसने एक स्थानीय महिला से दोस्ती की और उसके साथ भारत लौटी।
दोनों महिलाओं को पुलिस ने बोधगया में एक अतिथि गृह से पकड़ा। दोनों ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिले में मैकलोडगंज में बसने की बात कबूल की जिसे अक्सर ‘‘मिनी तिब्बत’’ कहा जाता है।
ये दोनों 22 दिसंबर को बोधगया पहुंची जब दलाई लामा को भी एक कार्यक्रम के सिलसिले में वहां आना था लेकिन तब तक विदेश विभाग ने पुलिस को सूचित कर दिया था कि शिओलान अवांछित व्यक्ति है।