Prabhasakshi NewsRoom: RBI ने बैंकों से अडाणी को दिये कर्ज की जानकारी मांगी, Adani के FPO वापस लेने का कांग्रेस ने उड़ाया मजाक

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हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के चलते अडाणी समूह के शेयरों में तगड़ी गिरावट आई जिससे इस कारोबारी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी दुनिया के शीर्ष अरबपतियों की सूची में पिछड़ गए हैं। इस बीच, अडाणी समूह ने अपने एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिलने के बावजूद उसे नैतिकता के आधार पर वापस ले लिया है। दूसरी ओर अडाणी समूह को लेकर हो रहे सारे हंगामे पर टिप्पणी करने से सरकार ने इंकार कर दिया है। उधर, मीडिया में इस तरह की भी खबरें हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को देखते हुए सभी बैंकों को निर्देश दिये हैं कि वह अडाणी समूह को दिये गये कर्ज के बारे में विस्तृत जानकारी दें।
जहां तक एफपीओ वापस लेने की बात है तो उसने सभी को चौंकाया क्योंकि शुरुआती निराशाजनक प्रतिक्रिया के बाद अंतिम दिन अडाणी समूह के एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिल गया था। इस बारे में खुद गौतम अडाणी ने एक बयान में कहा है कि बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण उनके समूह की प्रमुख कंपनी को पूर्ण अभिदान मिलने के बावजूद अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) को वापस लेने का फैसला किया गया है।
हम आपको बता दें कि ‘अडाणी एंटरप्राइजेज’ ने बुधवार को अपने 20 हजार करोड़ रुपये के एफपीओ को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की थी। इस खबर से उद्योग जगत के सभी लोग चौंक गये थे। गुरुवार सुबह निवेशकों को संबोधित करते हुए गौतम अडाणी ने कहा, ”एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिलने के बाद उसे वापस लेने के फैसले से कई लोगों को हैरानी हुई होगी, लेकिन बाजार में आए उतार-चढ़ाव को देखते हुए बोर्ड को लगता है कि एफपीओ को जारी रखना नैतिक रूप से सही नहीं होगा।” अडाणी ने कहा, ”हम परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे।” अडाणी ने कहा कि कंपनी की बुनियाद मजबूत है। अडाणी ने कहा कि बाजार के स्थिर होने के बाद हम पूंजी बाजार रणनीति की समीक्षा करेंगे।

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उन्होंने कहा कि इस फैसले का मौजूदा कामों और भविष्य की योजनाओं पर कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, ”हमारा बही-खाता सही और परिसम्पत्तियां मजबूत हैं। हमारा ‘एबिटा’ का स्तर और नकदी प्रवाह काफी मजबूत रहा है और ऋण चुकाने का हमारा रिकॉर्ड बेदाग है। हम लंबी अवधि के मूल्य निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे और विकास कार्य आंतरिक संसाधनों द्वारा किए जाएंगे।” ‘एबिटा’ से तात्पर्य ‘अर्निंग्स बिफोर इंट्रेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन एंड अमॉर्टाइजेशन’ है। उन्होंने कहा, ”हमारा ध्यान ‘ईएसजी’ (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) पर अधिक रहेगा और हमारा हर व्यापार जिम्मेदाराना तरीके से बढ़ता रहेगा। हमारे कामकाजी तरीकों को सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय साझेदारों ने स्वीकृत किया है, जो हमारी वैश्विक संस्थाओं से जुड़े हैं।”
हम आपको बता दें कि ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की पिछले हफ्ते आई रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में अरबों डॉलर की गिरावट आई है। उधर, अडाणी समूह की ओर से एफपीओ वापस लेने के फैसले पर कांग्रेस ने कहा है कि अडाणी का नैतिक रूप से सही होने की बात करना वैसे ही है जैसे उनके ‘प्रधान मेंटर’ द्वारा विनम्रता, सादगी और विशाल हृदयता के सद्गुणों का उपदेश देना है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि यह ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ है।
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडाणी समूह पर लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बजट के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “हम सरकार में हैं और किसी निजी कंपनी से संबंधित मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।” हम आपको बता दें कि इससे पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने भी मंगलवार को इस संबंध में बयान देने से इनकार कर दिया था।
उधर, बंदरगाह से ऊर्जा क्षेत्र तक विस्तृत कारोबारी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी दुनिया के शीर्ष अरबपतियों की सूची में पिछड़ गए हैं। वह अब सबसे अमीर एशियाई या भारतीय नहीं हैं। इसके चलते उनके प्रतिद्वंद्वी कारोबारी मुकेश अंबानी एक बार फिर भारत और एशिया के सबसे धनी व्यक्ति बन गए हैं। उल्लेखनीय है कि मुकेश अंबानी पिछले साल अप्रैल में अडाणी से पिछड़ गए थे। फोर्ब्स वेबसाइट के अनुसार, 83.7 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ मुकेश अंबानी सूची में 9वें स्थान पर हैं। हम आपको बता दें कि अडाणी की संपत्ति में पिछले साल 44 अरब डॉलर का इजाफा हुआ था और पिछले एक सप्ताह में उनकी संपत्ति तेजी से घटी है। वह इस समय वैश्विक अरबपतियों की सूची में 75.1 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 15वें स्थान पर हैं।



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