बिहार के सीमांचल की राजनीति दिलचस्प है। मस्लिम बहुल इस इलाके में सभी राजनीति दम अपने समीकरण को साधना चाहते हैं। इसी कड़ी में एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी 18-19 मार्च को राज्य के मुस्लिम बहुल क्षेत्र में ‘अधिकार पदयात्रा’ (अधिकार पदयात्रा) का शुभारंभ करेंगे। सत्तारूढ़ महागठबंधन और भाजपा द्वारा राज्य के सीमांचल क्षेत्र में जनसभाएं करने के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने यह कदम उठाया है। ये ऐसा कदम है जिससे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी प्रसाद यादव चिंतित हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों दलों की नजर हमेशा मस्लिम वोट बैंक पर रही है। ओवैसी 18-19 मार्च को सीमांचल क्षेत्र के दो प्रमुख शहरों पूर्णिया और किशनगंज में पदयात्रा का शुभारंभ करेंगे, राज्य एआईएमआईएम के अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने सूचित किया।
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इसको लेकर भाजपा ने एआईएमआईए पर निशान साधा है। ओवैसी के बिहार दौरे पर भाजपा के विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि इन लोग का एजेंडा समाज और राष्ट्र को मजबूत करने का नहीं है इस देश को गजवा हिन्द और 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र कैसे बने इसके लिए ओवैसी सीमांचल आ रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि किशनगंज में 2 दिन पहले ही उनके स्वागत में मंदिर में आग लगा दी गई। भाजपा नेता ने साफ तौर पर कहा कि ऐसे लोगों का वोटिंग राइट और सरकार द्वारी दी गई सभी सुख सुविधा ले लेनी चाहिए। उनके पार्टी का एक ही एजेंडा है-गजवा हिन्द, लव जिहाद, इस्लामीकरण। उनके नाम में ही मुस्लिम हिंद लिखा हुआ है। उनका देशतोरक मानसिकता है वो नया जिन्ना है..वो जिन्नावाद को लाना चाहते हैं।
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आपको बता दें कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल की पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। यह और बात है कि एआईएमआईएम के चार विधायक बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार के भाजपा से नाता तोड़ने और पिछले अगस्त में महागठबंधन के साथ नई सरकार बनाने से पहले राजद में शामिल हो गए थे। बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव यह बात करते रहे हैं कि राजद उम्मीदवार की हार में एआईएमआईएम उम्मीदवार की भूमिका थी। उन्होंने एआईएमआईएम को बीजेपी की ‘बी’ टीम भी बताया है।