New Parliament Inauguration: 21 दलों का बायकॉट, फिर भी नंबर गेम में आगे निकगी मोदी सरकार, आंकड़े केजरीवाल के लिए भी झटका

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसको लेकर फिलहाल देश में राजनीतिक जबरदस्त तरीके से शुरू हुई है। कुल मिलाकर देखें तो देश के राजनीतिक दल फिलहाल दो खेमों में बटे हुए नजर आ रहे हैं। एक ओर जहां कुछ राजनीतिक दल संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सरकार के साथ खड़े हैं तो कुछ राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस सहित लगभग 21 विपक्षी दलों ने मांग की है कि संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री को नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होनी चाहिए। हालांकि, मोदी सरकार और भाजपा के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि 25 दलों ने संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का न्योता मंजूर किया है। खास बात यह भी है कि इसमें सात ऐसे दल है जो एनडीए से लगातार दूरी बनाकर रखते हैं। लेकिन इस मामले में सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। 
नंबर गेम मोदी सरकार के पक्ष में
यह कहीं ना कहीं मोदी सरकार और भाजपा के लिए यह बड़ी राहत की बात है और इसका असर बिल पास कराने में भी देखा जा सकता है। लोकसभा में जहां भाजपा अपने दम पर मजबूत है तो वहीं राज्यसभा में उसे कई दलों का समर्थन हासिल करना पड़ता है। जिन सात एनडीए दलों ने संसद भवन उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार किया है उसमें बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल सेक्युलर, लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास, वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलुगू देशम पार्टी शामिल है। लोकसभा में इन 7 पार्टियों के 50 सदस्य हैं। यानी कि लोकसभा के कुल सांसदों की संख्या 376 हो रही हैं। वहीं राज्यसभा की बात की जाए तो पूरे 131 सांसद हो रहे हैं जो मोदी सरकार की वर्तमान ताकत को प्रदर्शित करता है।
केजरीवाल के लिए झटका
वर्तमान में देखें तो दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। उन्होंने ममता बनर्जी, शरद पवार, नीतीश कुमार जैसे बड़े नेताओं से मुलाकात की है। इस सभी नेताओं ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ वोट करने की बात कही है। केजरीवाल के पक्ष में कई दल खड़े भी हैं। बावजूद इसके नंबर गेम के मामले में भाजपा आगे निकलती दिखाई दे रही है। ऐसे में विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने के बावजूद भी केजरीवाल को कहीं न कहीं नवीन पटनायक और जगनमोहन रेड्डी जैसे नेताओं का साथ चाहिए होगा। 
इन दलों का है विरोध
देश की सियासत इन दिनों नई संसद पर आकर ठहर सी गई है। मुद्दा प्रधानमंत्री मोदी के नए संसद भवन के उद्घाटन का है। कोई इसे राष्ट्रपति के सम्मान से जोड़ रहा है तो कोई प्रतीकों को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। विपक्ष के लिए ये मुद्दा कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार मोदी सरकार के खिलाफ 20 विपक्षी पार्टियां एकजुट हो गई हैं। जिन्होंने संसद के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। लेकिन विरोध केवल उद्घाटन का ही नहीं है बल्कि पूरे संसद परिसर का है। विरोध करने वालों में कांग्रेस, डीएमके, तृणमूल, जेडीयू, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी, माकपा, सपा, आईयूएमएल, जेकेएनसी, भाकपा, एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (एम), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, राजद, रिव्येल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, एआईयूडीएफ, एमडीएमके शामिल हैं। अगर संसद में इनकी सीटों का गणित देखा जाए तो लोकसभा में उनकी कुल ताकत 147 और राज्यसभा में 96 है।



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