भारत ने 2022 में भू-राजनीतिक कद बढ़ाने का लक्ष्य रखा, जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की

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नयी दिल्ली। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण इस वर्ष महाशक्ति प्रतिद्वंद्विता देखे जाने के बीच भारत ने शक्तिशाली जी20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण की और चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार के सामने क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को फिर से आकार देने में अपने रणनीतिक प्रभाव का विस्तार करने में एक मजबूत संकल्प दिखाया।
पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध 30 महीनों से अधिक समय तक बना रहा लेकिन भारत ने भी चीन के साथ अपने कूटनीतिक संपर्क में एक स्पष्ट और दृढ़ नीति बनाए रखी, जिससे बीजिंग को स्पष्ट संदेश गया कि संबंधों के समग्र विकास के लिए सीमा पर शांति और सुरक्षा का माहौल सर्वोपरि है।

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भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस और यूरोपीय संघ जैसी प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों का विस्तार करने के लिए अपने भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने और खुद को शांति के लिए एक विश्वसनीय ताकत के रूप में स्थापित करने के व्यापक लक्ष्य के साथ अपने कूटनीतिक अभियान को जारी रखा।
यूक्रेन संघर्ष के कारण वैश्विक खाद्य एवं ऊर्जा संकट और रूस और अमेरिका के बीच एक गहन भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा हुई लेकिन इस बीच भारत ने एक खास नजरिया पेश करते हुए शत्रुता को समाप्त करने और बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान खोजने के लिए रूस और यूक्रेन पर दबाव डाला।
उज्बेकिस्तान के समरकंद में 16 सितंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक बैठक में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी नेता को यह कहते हुए संघर्ष समाप्त करने के लिए कहा कि ‘‘आज का युग युद्ध का नहीं है।’’

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हालांकि, रूस के यूक्रेन पर हमला करने की निंदा करने वाले कई प्रस्तावों पर भारत संयुक्त राष्ट्र में मतदान से दूर रहा जो मास्को के साथ उसके दशकों पुराने संबंधों को दर्शाता है जिसमें रक्षा और परमाणु ऊर्जा सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।
भारत ने युद्ध के बीच में अपनी ऊर्जा आवश्यकता को प्राथमिकता देते हुए छूट वाले रूसी कच्चे तेल के अपने आयात में काफी वृद्धि की और खरीद को स्थगित करने के लिए पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव को कम किया।
गत 24 फरवरी को शुरू हुए यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के तहत इस पूर्वी यूरोपीय देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों को घेराबंदी बाद छोड़ दिया गया। भारत ने अपने नागरिकों को संघर्ष क्षेत्रों से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर निकासी अभियान शुरू किया।
यूक्रेन से 22,000 से अधिक भारतीय नागरिकों, जिनमें ज्यादातर छात्र शामिल थे, को 90 उड़ानों के जरिये स्वदेश वापस लाया गया। इन उड़ानों में 76 वाणिज्यिक एयरलाइन और भारतीय वायुसेना की 14 उड़ान शामिल थी।
यूक्रेन संघर्ष को लेकर भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, भारत ने बाली में वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रभावशाली समूह जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाली में आयोजित सम्मेलन में कहा था, ‘‘भारत ऐसे समय में जी20 की कमान संभाल रहा है जब दुनिया एक साथ भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक मंदी, बढ़ती खाद्य और ऊर्जा की कीमतों और महामारी के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों से जूझ रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में दुनिया जी20 की ओर उम्मीद से देख रही है। आज, मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत की जी-20 अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी और निर्णायक होगी।’’
चीन से निपटने में, भारत ने इस बात पर जोर देते हुए एक दृढ़ नीति बनाए रखी कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त में कहा था, ‘‘सकारात्मक रास्ते पर लौटने के लिए संबंध आपसी संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हित पर आधारित होने चाहिए।’’
मई 2020 में भारत-चीन सीमा गतिरोध शुरू होने के बाद से बाली मेंजी20 सम्मेलन में रात्रिभोज में, प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सार्वजनिक रूप से अपने पहले ऐसे आदान-प्रदान में हाथ मिलाया और संक्षेप में बात की।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मार्च में सीमा विवाद के बाद भारत और चीन के बीच पहली बड़ी कूटनीतिक बातचीत में भारत का दौरा किया।

वांग और जयशंकर के बीच वार्ता लगभग तीन घंटे तक चली और इस दौरान विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बिंदुओं से पीछे हटने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने पर जोर दिया।
दो सप्ताह पहले मोदी के खिलाफ पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी के व्यक्तिगत हमले के बाद पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध और खराब हो गए। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने के लिए सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना जारी रखा।
भारत ने भुट्टो-जरदारी की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर इस्लामाबाद के खिलाफ अपना कूटनीतिक हमला जारी रखा और सीमा पार आतंकवाद को रोकने तक इस्लामाबाद के साथ कोई बातचीत नहीं करने पर अडिग रही।
जून में, मोदी ने दक्षिणी जर्मनी में श्लॉस एलमाऊ के अल्पाइन कैसल में जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
यूरोप के साथ भारत के संबंधों में भी 2022 में मजबूती देखी गई, जब दोनों पक्षों ने आठ साल के अंतराल के बाद एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत फिर से शुरू की।
भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने फरवरी में समग्र व्यापार संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) को अंतिम रूप दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने जनवरी में ऑनलाइन तरीके से हुए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की जिसमें कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने भाग लिया।
शिखर सम्मेलन के दौरान, मोदी और मध्य एशियाई नेताओं ने संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले कदमों पर चर्चा की।



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