रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बॉर्डर पर हो रहे टकराव को लेकर बड़ा बयान, पड़ोसियों से अच्छे संबंधों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे

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तिरुवनंतपुरम। जहां एक तरफ भारत के अन्य देशों के साथ संबंस अच्छे हो रही है वहीं पडोसियों के साथ भारत की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। फिर चाहे बात श्री लंका की हो या फिर नेपाल की पिछले काफी समय से सार्क की एक भी बैठक नहीं हुऊ हैं। और ज्यादातर पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में खट्टास आयी हैं। जहां पाकिस्तान हर जगह जा-जाकर भारत के खिलाफ जहर उगता है। वहीं चीन भारतीय सीमा में घुसकप घुसपैठ करने की कोशिश करता है। चीन के साथ भारत के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध भी हैं। ऐसे में सीमा पर विवाद और साथ साथ व्यापार करने के भारत सरकार के फैसले पर काफी सवाल खड़े हुए हैं। लगातार चीनी चालों का विदेशमंत्री एस जयशंंकर ने जवाब भी दिया। भारत ने चीन को चेता दिया है कि व्यापार और टकराव एक साथ नहीं चल सकते हैं। अब इस पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का भी बयान सामने आया है। 

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह क्या बोले-

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना और इन्हें भविष्य में भी बनाए रखना चाहता है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाएगा।
यहां शिवगिरि मठ की 90वीं वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उस टिप्पणी को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हमें अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे और मैत्रीपूर्ण संबंधों की आवश्यकता है। लेकिन, हम अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर किसी के साथ अच्छे संबंध नहीं चाहते हैं।’’

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केरल के समाज सुधारक श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं के बारे में भी बात की, जैसे ‘‘उद्योग के माध्यम से समृद्धि’’, जो भारत सरकार की ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ नीति का आधार है।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘इसी के परिणामस्वरूप हमें दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता है और हमारी सेना को एक शक्ति के रूप में देखा जाता है।’’
उन्होंने कहा कि जब वह सशस्त्र बलों की मदद से और प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में भारत के ‘‘शरीर’’ (सीमाओं) की रक्षा के लिए काम कर रहे थे, तब मठ के संत देश की ‘‘आत्मा’’ की रक्षा के लिए काम कर रहे थे।
सिंह ने कहा, ‘‘मैं आपके द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करता हूं। हम एक राष्ट्र के रूप में तभी जीवित रह सकते हैं जब शरीर और आत्मा दोनों सुरक्षित हों।



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